Premanand Ji Maharaj Mathura News : प्रेमानंद जी महाराज के एकांतिक वार्तालाप में हर रोज सैकड़ों लोग आते हैं, जो अपने समस्या को बताते हैं. महाराज जी बारी- बारी से सभी लोगो का प्रश्न सुनतें हैं और बहुत ही धैर्यपूर्वक जबाब देते हैं . आज एक महिला ने पूछी की उनके भाई उनको धोका देते हैं, तो उनको इससे कैसे बचना चाहिए। भाई के साथ रिश्ते रखना चाहिए या नहीं। तब महाराज जी ने विस्तार से उस महिला को समझाया :-
अगर परिवार का कोई शख्स छल-कपट आदि करे तो हमें क्या करना चाहिए?

जब महिला ने पूछा की महाराज जी, यदि परिवार की ही कुछ सदस्य धोखा- धरी करे जिससे रिस्ते ख़राब हो रही हो तब किया करना चाहये? शास्त्र में इसका किया समाधान है।
तब महाराज जी ने जबाब देते हुए कहा की यहाँ देखना पड़ेगा की किस तरह का संबंध है. वह व्यक्ति आपके रिश्ते में किया लगता है? तब महिला ने बताया की वह रिश्ते में मेरा भाई है. महाराज जी ने अपना जबाब देते हुए कहा की हर रिश्ते का अपना एक अधिकार होता है. यदि भाई आपके साथ धोखा धरी कर रहा तो आप अपने भाई का त्याग कर दीजिये। पति के साथ रहिये और पति के अनुकूल चलिए। यदि आपके भाई के शब्दों से आपके पारिवारिक सबंधं में विक्षेप पर रहा है तो अपने भाई का त्याग कर देना चाहये। पति के अनुकूल परिस्थिति में उन्हें अनुकूलता प्रदान करना चाहिए और उनके विपरीत परिस्थिति में उनके साथ धैर्यपूर्वक खड़े रहना चाहिए। यदि आपके सबंधं में माता- पिता भी रूकावट पैदा करे तो माता पिता को भी त्याग कर देना चाहिए। पति के साथ धर्म पूर्वक रहना चाहिए। माता पिता का बात तब तक रखना चाहिए, जब तक शादी नहीं हुई है. लड़की के शादी होने के बाद पति के अनुसार चलना चाहिए और पति का कहना मानना चाहिए । शादी होने के बाद माता -पिता भाई का बात तब रखना चाहिए, जब वह बात आपके पारिवारिक सबंधं में कोई रूकावट नहीं पैदा करता हो . अंत में महाराज जी ने कहा एक ही है जो आपके साथ रहेगा वह आपका पति है, तो पति को भगवान् मानकर उनके साथ धर्मपूर्वक रहिये। पतिवर्त धर्म पालन करने वाली स्त्री लोक परलोक सब संभाल लेती है .
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